सनातन धर्म में भाद्रपद का महीना, जिसे भादो भी कहा जाता है, पूजा-पाठ के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस महीने में भगवान श्रीकृष्ण और गणेश जी की पूजा का विशेष महत्व होता है, और इसे करने से साधक को शुभ फल प्राप्त होते हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष भाद्रपद मास 20 अगस्त 2024 से प्रारंभ होकर 18 सितंबर 2024 को समाप्त होगा। भादो का महीना भी सावन की तरह पवित्र माना जाता है, इसलिए इस अवधि में किए गए उपायों से व्यक्ति को मनोवांछित फल प्राप्त होता है। आज के कालचक्र में पंडित सुरेश पांडेय आपको भादो महीने के महत्व और इस दौरान किए जाने वाले विशेष कार्यों के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।
भादो में क्या-क्या नहीं करना चाहिए?
भादो के महीने में कुछ कार्यों से परहेज करना शुभ माना जाता है। इस महीने में मांगलिक कार्य, जैसे शादी, सगाई और मुंडन आदि को करने से बचना चाहिए। लंबी आयु और पारिवारिक सुख के लिए भादो में तली और मसालेदार चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दौरान शहद, चावल, और कच्ची चीजों का सेवन भी वर्जित है। पलंग पर सोना, झूठ बोलना, और मांसाहार का सेवन करने से भी बचना चाहिए। साथ ही, मूली, बैंगन, हरी सब्जियां, तिल, और नारियल के तेल का त्याग करना उचित माना जाता है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए भाद्रपद मास में दही का सेवन नहीं करना चाहिए।
भादो के महीने में इन बातों का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है:
- भक्ति और स्नान-दान: भादो का महीना भक्ति और स्नान-दान के लिए उत्तम माना जाता है। इस दौरान किए गए दान से जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश हो जाता है।
- पीले रंग के कपड़े: इस महीने में अधिक से अधिक पीले रंग के कपड़े पहनने चाहिए, जो शुभ माना जाता है।
- भगवद्गीता का पाठ: भादो के महीने में भगवद्गीता का पाठ करना शुभ होता है।
- लड्डू गोपाल की स्थापना: इस महीने में घर में लड्डू गोपाल की मूर्ति स्थापित करना शुभ माना जाता है, जिससे भगवान कृष्ण की कृपा से घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
- मक्खन और घी का सेवन: भादो में मक्खन और गाय का घी खाना शुभ और लाभकारी माना जाता है।
भादो मास के उपाय:
- पंचगव्य का सेवन: शारीरिक शुद्धि और सुंदरता के लिए संतुलित मात्रा में पंचगव्य का सेवन करना शुभ होता है। पंचगव्य में गाय का दूध, घी, मूत्र, गोबर, और दही शामिल होते हैं।
- संतान सुख के लिए: भादो के महीने में नियमित रूप से गाय का दूध पीना संतान सुख के लिए लाभकारी माना जाता है।
- पाप नाश और पुण्य की प्राप्ति: तन-मन की शुद्धि और पापों के नाश के लिए नियमित रूप से पानी में गौमूत्र मिलाकर स्नान करना चाहिए। इससे बीमारियों का खतरा भी कम होता है।
- तुलसी दल अर्पण: भगवान कृष्ण को तुलसी का दल अर्पित करना शुभ होता है। साथ ही, तुलसी दल को चाय या दूध में उबालकर पीने से स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है।