आप नौकरी में कार्यरत हों या फिर किसी भी पेशे से जुड़े हों. कार्यक्षेत्र से लेकर व्यवसायिक जीवन में सफलता पाने के लिए एक लक्ष्य होता है, जिसे पूरा करना जरूरी होता है. किसी भी काम में लक्ष्य को पूरा करना न सिर्फ काम के प्रति संतुष्टि देता है बल्कि इसका लाभ आपको दीर्घकालीन समय तक मिलता रहता है.
लेकिन कई बार ऐसा होता है कि कार्यक्षेत्र में अधिक मेहनत करने या अधिक समय देने के बाद भी हम अपने लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाते हैं. इसके कई कारण हो सकते हैं, लेकिन ज्योतिष के अनुसार इसका एक कारण कुंडली में स्थिति ग्रहों की अशुभ या कमजोर स्थिति भी हो सकती है. आइये जानते हैं लक्ष्य को अचीव करने में कौन से ग्रह देते हैं दिक्कत.
गुरु का है आजीविका से संबंध:
ज्योतिष शास्त्र में सभी ग्रहों में गुरु को सबसे शुभ ग्रह माना जाता है. इसलिए इसे सत्वगुनी ग्रह कहा जाता है. गुरु को ज्ञान, विवेक और धन का कारक माना जाता है. कुंडली में गुरु की शुभ स्थिति से शुभ फल मिलते हैं.
आजीविका के क्षेत्र में गुरु ग्रह की अहम भूमिका होती है. बता दें कि कुंडली का दसवां घर आजीविका का स्थान माना जाता है. गुरु यदि कुंडली के 10वें घर में उच्च राशि में, मित्र राशि में या फिर स्वराशि में विराजमान हो तो ऐसी स्थिति में आप जहां भी काम करें, वहां आपको सफलता हासिल होती है.
लेकिन गुरु के अशुभ होने पर काम पूरा करने में परेशानी आती है. कई बार तो बने बनाए काम भी बिगड़ जाते हैं. ऐसी स्थिति में गुरु से संबंधित उपाय करने चाहिए और देवगुरु बृहस्पति की पूजा करनी चाहिए.
मंगल प्रदान करते हैं साहस और ऊर्जा:
नौकरी-व्यापार में सफलता या असफलता में ग्रहों के सेनापति मंगल की भी अहम भूमिका मानी जाती है. ज्योतिष में मंगल को साहस, ऊर्जा और पराक्रम का कारक माना गया है. किसी भी काम को करने के लिए मंगल साहस और ऊर्जा प्रदान करते हैं.
ऐसे में कुंडली में जब मंगल कमजोर या अशुभ हो जाए तो व्यक्ति अपने लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाता और उसे कार्यक्षेत्र में कई तरह की परेशानियों और चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. अगर आपको भी अपना लक्ष्य पूरा करने में दिक्कत रहती है तो मंगल ग्रह को शुभ बनाने के उपाय करने शुरू कर दें.