सावन 2025: देशभर में बारिश का दौर शुरू हो चुका है और जुलाई का महीना भी कल से शुरू होने वाला है। जुलाई शुरू होते ही शिवभक्तों में सावन का इंतजार तेज हो जाता है। आइए जानें इस बार सावन कब से शुरू हो रहा है।

सावन 2025 देशभर में बारिश का सिलसिला जारी है और अब जुलाई का महीना शुरू होने वाला है। हर साल सावन का महीना भगवान शिव की पूजा-अर्चना, व्रत, जलाभिषेक और भक्ति में डूब जाने का सबसे पवित्र समय माना जाता है। मान्यता है कि इस पूरे महीने में भोलेनाथ की सच्चे मन से पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है। खासकर सावन के सोमवार का व्रत तो और भी शुभ फल देने वाला होता है। तो आइए जानें इस बार 2025 में सावन कब शुरू हो रहा है, सावन सोमवार कब-कब पड़ेंगे और इसका धार्मिक महत्व क्या है?
कब से शुरू हो रहा है सावन और क्यों है ये खास?
पंचांग के अनुसार इस बार सावन 11 जुलाई 2025 को शुरू होगा और इसका समापन 9 अगस्त को होगा। 11 जुलाई को आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि है, इसी दिन से सावन की शुरुआत मानी जाएगी। सावन के पहले सोमवार यानी 14 जुलाई को राहुकाल दोपहर 12:00 बजे से 1:30 बजे तक रहेगा। इस दिन स्वाति नक्षत्र और सिद्ध योग भी बन रहा है, जो बेहद शुभ माने जाते हैं।
पूरे 30 दिन चलने वाले इस पावन महीने में सोमवार व्रत, जलाभिषेक और शिव साधना का विशेष महत्व रहेगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन भगवान शिव को समर्पित महीना है। इस दौरान भोलेनाथ की पूजा से हर तरह की मनोकामना पूरी हो सकती है। खासकर शादी में देरी, संतान सुख, करियर और मानसिक शांति जैसी चीजों के लिए लोग व्रत और पूजा करते हैं।
इस बार सावन पूरे 30 दिनों का होगा जिसमें चार सोमवार आएंगे। इस महीने खास धार्मिक योग भी बन रहे हैं, जो पुण्य फल को और बढ़ा देते हैं।
सावन सोमवार की तिथियां:
पहला सोमवार व्रत — 14 जुलाई
दूसरा सोमवार व्रत — 21 जुलाई
तीसरा सोमवार व्रत — 28 जुलाई
चौथा सोमवार व्रत — 04 अगस्त
सावन पूजा विधि और क्या चढ़ाएं भोलेनाथ को?
सावन के दौरान भगवान शिव की पूजा जल, दूध, बेलपत्र, भांग, धतूरा और शमीपत्र अर्पण कर की जाती है। भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करके शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं। कन्याएं अच्छे वर के लिए व्रत करती हैं और महिलाएं सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं।
सावन से जुड़ी पौराणिक मान्यता
सावन का महीना भगवान शिव को बेहद प्रिय माना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि माता पार्वती ने शिव को पति रूप में पाने के लिए सावन में कठोर तप किया था। इससे प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया। यही कारण है कि सावन को विवाह की कामनाओं के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।
एक और मान्यता के अनुसार, सावन के महीने में भगवान शिव पहली बार पृथ्वी लोक (ससुराल) आए थे, इसलिए उनका जलाभिषेक कर स्वागत किया जाता है। इस पूरे महीने शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, धतूरा, भांग, शमी और गंगाजल अर्पित करना शुभ होता है।