Maha-Ashtmi-2025

दुर्गा अष्टमी 2025: तिथि, शुभ मुहूर्त और माँ महागौरी की पूजा का महत्व

शारदीय नवरात्रि का हर दिन माँ दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप की आराधना के लिए समर्पित होता है। इनमें से आठवाँ दिन यानी महाअष्टमी भक्तों के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन देवी महागौरी की पूजा होती है, जो अपनी दिव्य आभा और करुणा से भक्तों का जीवन संवार देती हैं। माना जाता है कि अष्टमी के दिन की गई पूजा से भक्तों के सभी पाप नष्ट होते हैं और जीवन में नई ऊर्जा, सुख-शांति और समृद्धि का मार्ग खुलता है।

Maha-Ashtmi 2025

दुर्गा अष्टमी 2025की तिथि और समय:

शारदीय नवरात्रि 2025 की शुरुआत सोमवार, 22 सितंबर से होगी और इसका समापन 1 अक्टूबर, बुधवार को विजयादशमी पर होगा। अष्टमी तिथि की शुरुआत 29 सितंबर, सोमवार को दोपहर 4:31 बजे से होगी और यह 30 सितंबर, मंगलवार शाम 6:06 बजे तक रहेगी। इस बीच पूजा और अनुष्ठान का सबसे शुभ समय वही होगा जब भक्त पूरी श्रद्धा के साथ माँ महागौरी की आराधना करेंगे।

दुर्गा अष्टमी 2025 की पूजा विधि:

दुर्गा अष्टमी का दिन साधना, शक्ति और भक्ति का अद्वितीय संगम माना जाता है। इस दिन की पूजा केवल परंपरा नहीं बल्कि आत्मा को शुद्ध करने और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा भरने का एक अद्भुत माध्यम है।

  • सुबह की तैयारी और वातावरण: सबसे पहले प्रातः स्नान करके स्वच्छ और लाल या पीले वस्त्र धारण करें। पूजा स्थान को गंगा जल से पवित्र करें और फूलों, दीपों व रंगोली से सजाएँ। माना जाता है कि साफ-सुथरा और सुगंधित वातावरण माँ दुर्गा को अधिक प्रिय होता है और इससे घर में दिव्य ऊर्जा का प्रवेश होता है।
  • कलश स्थापना और देवी का आवाहन: माँ की प्रतिमा या चित्र के सामने कलश स्थापना करें। कलश को आम्र पत्र, नारियल और स्वस्तिक से अलंकृत करें। देवी को दुग्ध, शहद, दही, घी और गंगाजल से स्नान कराएँ जिसे “पंचामृत स्नान” कहा जाता है। यह स्नान माँ को समर्पण का प्रतीक माना जाता है और घर में शांति व समृद्धि का वास होता है।
  • अर्पण और श्रृंगार:माँ दुर्गा को लाल चुनरी, सिंदूर, चूड़ियाँ और श्रृंगार का सामान अर्पित करें। सफेद, लाल और गुलाबी फूलों से माँ का श्रृंगार करें। नारियल और लाल फल अर्पित करने से माँ की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
  • कन्या पूजन का महत्व:दुर्गा अष्टमी का सबसे पावन और शक्तिशाली अनुष्ठान है कन्या पूजन। मान्यता है कि नौ छोटी कन्याओं में नौ रूपों की शक्ति का वास होता है। उनके चरण पखारना, तिलक करना, भोजन कराना और वस्त्र या उपहार देना माँ दुर्गा को अत्यंत प्रसन्न करता है। कहा जाता है कि कन्या पूजन के बिना दुर्गा अष्टमी का अनुष्ठान अधूरा रहता है।
  • पाठ और मंत्र जप: इस दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करना बेहद शुभ माना गया है। साथ ही “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्यै नमः” मंत्र का 108 बार जप करने से समस्त विघ्न-बाधाएँ दूर होती हैं और जीवन में सफलता के द्वार खुलते हैं।
  • हवन और आशीर्वाद:अंत में हवन करें और माँ से प्रार्थना करें कि आपके परिवार पर सदैव उनकी कृपा बनी रहे। हवन की अग्नि में अर्पित प्रत्येक आहुति नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है और घर में सुख-समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करती है।

दुर्गा अष्टमी का महत्व और लाभ: दुर्गा अष्टमी का महत्व सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी अत्यधिक है

  • कहा जाता है कि इस दिन की पूजा से भय, मानसिक तनाव और जीवन की नकारात्मकता दूर होती है।
  • माँ महागौरी अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूरी करती हैं और जीवन में धन, सुख और शांति का आशीर्वाद देती हैं।
  • जो लोग लंबे समय से परेशानियों और बाधाओं से घिरे हैं, उनके लिए यह दिन खासतौर पर वरदान साबित होता है।
  • इस दिन व्रत रखने से परिवार में एकता, प्रेम और खुशहाली बनी रहती है।

विशेष बातें जो भूलनी नहीं चाहिए:

  • पूजा से पहले घर और मन दोनों की शुद्धि आवश्यक है।
  • व्रत रखने वाले पूरे दिन सात्विक आहार का ही सेवन करें।
  • संध्या आरती में भाग लेना और दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • दान-पुण्य अवश्य करें क्योंकि यह माँ को प्रसन्न करने का सबसे सरल उपाय है।

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