चंद्रग्रहण मात्र एक खगोलीय घटना नहीं, बल्कि ब्रह्मांडीय ऊर्जा का अद्भुत संगम है। यह वह क्षण होता है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा एक दिव्य रेखा में आकर एक गूढ़ रहस्य रचते हैं। उस समय चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया पड़ती है और चंद्रमा का उज्ज्वल चेहरा रहस्यमयी आभा में ढक जाता है। पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान जब उसका रंग तांबे जैसा गाढ़ा लाल हो उठता है, तब आकाश मानो एक दिव्य लालटेन में बदल जाता है, जिसे लोग श्रद्धा और विस्मय से “ब्लड मून” कहते हैं। भारतीय ज्योतिष के अनुसार यह सिर्फ आकाशीय नज़ारा नहीं, बल्कि आत्मा और ब्रह्मांड के बीच गहरे ऊर्जा-संवाद का समय होता है, जब साधना, ध्यान और आत्मशुद्धि के द्वार खुल जाते हैं।
आगामी पूर्ण चंद्रग्रहण 7–8 सितम्बर 2025 की रात को पड़ेगा। यह पूरे भारत में देखा जा सकेगा।
- उपछाया आरम्भ: 7 सितम्बर रात 8:58 PM
- आंशिक आरम्भ: 9:57–9:58 PM
- पूर्ण ग्रहण आरम्भ: 11:00–11:01 PM
- पूर्ण ग्रहण समाप्त: 12:22 AM (8 सितम्बर)
- उपछाया समाप्त: 2:25 AM (8 सितम्बर)
पंचांगों के अनुसार “मोक्ष” का समय लगभग 1:26 AM माना जाता है, जिसे धार्मिक दृष्टि से ग्रहण समाप्ति का समय समझा जाता है।
सूतक काल की अवधि:
वैदिक शास्त्रों में सूतक काल को अशुभ और निषिद्ध समय माना गया है। जैसे ही चंद्रग्रहण का योग बनता है, उसके लगभग 9 घंटे पहले से ही वातावरण में अदृश्य नकारात्मक ऊर्जा सक्रिय हो जाती है। इस कारण ऋषि-मुनियों ने नियम बनाए कि इस समय किसी भी प्रकार का शुभ कार्य, पूजा-पाठ, भोजन पकाना या नए कार्य की शुरुआत नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इसका फल व्यर्थ हो सकता है। 7 सितम्बर दोपहर 12:57 PM पर सूतक आरम्भ होगा और लगभग 8 सितम्बर रात 1:26 AM पर ग्रहण मोक्ष के साथ समाप्त होगा। यह कालखंड विशेष सतर्कता का समय है। हालाँकि, परम्पराओं में यह भी बताया गया है कि सूतक के दौरान मंत्र-जप, ध्यान, मौन साधना और दान की मानसिक प्रतिज्ञा करना लाभकारी रहता है। यह साधना नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा करती है और आंतरिक शांति देती है। इसलिए सूतक को केवल निषेध का समय न मानकर, उसे आत्मिक अनुशासन और साधना का अवसर समझा जाता है।
चंद्रग्रहण व सूतक काल में क्या करें:
- मंत्र-जप करें (गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र)।
- ध्यान और मौन साधना करें।
- गंगाजल या गोमूत्र का छिड़काव करें।
- तुलसी पत्र का सेवन करें।
- ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान करें।
चंद्रग्रहण व सूतक काल में क्या न करें:
- कोई भी शुभ कार्य शुरू न करें।
- भोजन पकाना या खाना (यदि संभव हो तो उपवास रखें)।
- धार्मिक पूजा-पाठ या हवन न करें।
- अनावश्यक यात्रा न करें।
- वाद-विवाद या नकारात्मक विचारों से बचें।
- गर्भवती महिलाओं को तेज औज़ारों और भारी कामों से बचना चाहिए।




