Anant Chaturdashi

अनंत चतुर्दशी 2025: पूर्ण जानकारी, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। दस दिनों तक चलने वाले इस पावन उत्सव का समापन गणेश विसर्जन के साथ होता है। इस दिन भक्त अपने प्रिय विघ्नहर्ता गणपति बप्पा को भावभीनी विदाई देते हैं। यह क्षण भक्तों के लिए भावुक भी होता है और आध्यात्मिक रूप से उत्थानकारी भी।

 

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        2025 में गणेश विसर्जन (अनंत चतुर्दशी) कब है?

  • इस वर्ष गणेश विसर्जन शनिवार, 6 सितंबर 2025 को होगा जोकि अनंत चतुर्दशी का पवित्र दिन भी है।
  • यह वह दिन है जब दस दिनों की भक्ति और आनंद से भरी यात्रा का समापन होता है, जब भक्त अपने प्रिय बप्पा को भावभीनी विदाई देते हैं और प्रार्थना करते हैं कि वे शीघ्र ही फिर से हमारे जीवन में सुख और समृद्धि लेकर आएं।

        शुभ मुहूर्त कब करें विसर्जन?

  • चतुर्दशी तिथि आरंभ होगी: 6 सितंबर, सुबह 3:12 AM
  • तिथि की समाप्ति: 7 सितंबर, सुबह 1:41 AM

         विशेष विसर्जन समय:

  • सुबह: 7:45 AM-9:17 AM
  • दोपहर: 12:20 PM-4:56 PM
  • शाम: 6:28 PM-7:56 PM
  • रात: 9:24 PM-1:49 AM
  • अगले दिन प्रातः : 4:45 AM-6:13 AM (7 सितम्बर)

        गणेश विसर्जन का महत्व:

 गणेश विसर्जन केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं है, बल्कि यह जीवन का गहरा संदेश भी देता है। मिट्टी से बने गणेश जी की मूर्ति अंत में जल में विलीन हो जाती है, जिससे यह शिक्षा मिलती है कि जीवन क्षणभंगुर है और अंततः सब कुछ उसी ब्रह्मांडीय ऊर्जा में विलीन हो जाता है, जिससे यह उत्पन्न हुआ था।

       यह अनंत चक्र हमें सिखाता है

  • अहंकार का त्याग करें
  • जीवन की अस्थिरता को स्वीकार करें और भगवान गणेश का आशीर्वाद लेकर नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ें।

         गणेश विसर्जन की पूजा विधि

  • मूर्ति को सजाएं: गणेश जी को फूल, फल और प्रसाद अर्पित करें।
  • आरती करें: गणपति बप्पा की आरती गाएं और परिवार सहित दीप प्रज्वलित करें।
  • प्रार्थना करें: बप्पा से जीवन में सुख-समृद्धि, बुद्धि और सफलता की प्रार्थना करें।
  • विसर्जन यात्रा: ढोल-नगाड़ों, भजन और नृत्य के साथ विसर्जन यात्रा निकालें।
  • मंत्रोच्चारण: “गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ” गाते हुए जल में विसर्जन करें।

         गणेश विसर्जन का आध्यात्मिक संदेश

  • गणेश जी को विदा करना हमें यह एहसास दिलाता है कि भगवान सदैव हमारे हृदय में विद्यमान हैं।
  • विसर्जन आत्मा की शुद्धि और नए आरंभ का प्रतीक है।
  • भक्त इस दिन प्रण लेते हैं कि अगले वर्ष और भी भव्य रूप से बप्पा का स्वागत करेंगे।

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