हिंदू धर्म में भाद्रपद महीना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस अवधि में अनेक व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं। इस महीने में भगवान शिव, श्रीकृष्ण और गणेश जी की पूजा विशेष रूप से की जाती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, आज से भादो माह की शुरुआत हो चुकी है। यह महीना 20 अगस्त से 18 सितंबर तक चलेगा। भादो को भाद्रपद भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भादो का महीना भी सावन की तरह भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। यह मास भगवान श्रीकृष्ण और गणेश जी को समर्पित है। इस दौरान स्नान, दान, और पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है, जिससे व्यक्ति सुख-समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है। नियमित पूजा-पाठ से इस माह में सभी प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती हैं। अब, आइए ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से जानें कि भाद्रपद माह में किन कार्यों को करना चाहिए और किन्हें नहीं करना चाहिए।
भाद्रपद महीने में क्या करें और क्या न करें:
- भादो के महीने में अच्छी सेहत के लिए गुड़ का सेवन बिल्कुल न करें। इसी तरह, इस महीने दही का भी परहेज करें। बैंगन, मांस, और मदिरा का सेवन भी इस समय टालना चाहिए।
- इस माह में भोजन में नारियल तेल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा करने से संतान प्राप्ति में बाधा आ सकती है। जो लोग संतान सुख की इच्छा रखते हैं या नवविवाहित हैं, उन्हें इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
- भाद्रपद महीने में मन में शुद्ध और पवित्र विचार रखने चाहिए। विवाहित लोगों को इस दौरान शारीरिक संबंध बनाने से बचना चाहिए और अपने मन को सकारात्मक और पवित्र विचारों से भरना चाहिए।
- इस पूरे महीने बाल और नाखून नहीं काटने चाहिए। विशेष रूप से रविवार, सोमवार, और गुरुवार को पुरुषों और महिलाओं को बाल धोने या काटने से बचना चाहिए।
- भगवान श्रीकृष्ण की पूजा के लिए यह महीना अत्यंत फलदायी है। पूरे महीने भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें और उन्हें प्रतिदिन तुलसी का भोग लगाएं। रविवार के लिए तुलसी के पत्ते पहले से तोड़कर रख लें।
- इस महीने में अगर कोई आपको चावल या नारियल का तेल दान में दे, तो उसे स्वीकार न करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चावल और नारियल का दान लेने से आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
भाद्रपद माह का ज्योतिषीय महत्व:
हिंदू धर्म में चंद्रमा को आधार मानकर दिन, तिथि, और माह का निर्धारण किया जाता है। चंद्रमा और नक्षत्रों के भ्रमण के आधार पर महीनों के नाम तय किए जाते हैं। जिस नक्षत्र में पूर्णिमा के दिन चंद्रमा होते हैं, उस नक्षत्र के नाम पर उस महीने का नामकरण होता है। भाद्रपद माह की शुरुआत सावन के समाप्त होते ही होती है। सावन के बाद भाद्रपद में भी मानसून के कारण धरती हरी-भरी रहती है। इस महीने में घर निर्माण, विवाह, सगाई, और अन्य मांगलिक कार्यों को करने से बचना चाहिए। भाद्रपद का महीना भक्ति, स्नान-दान, और पूजा-पाठ के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।