सावन का महीना हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह न केवल शिवभक्ति का समय होता है, बल्कि हरियाली, त्योहार, और सजावट से भरा हुआ एक सांस्कृतिक पर्व भी बन जाता है।
विशेषकर सावन के सोमवार, जब श्रद्धालु उपवास रखते हैं और भगवान भोलेनाथ की पूजा करते हैं, तब घर का वातावरण भक्तिमय और सुंदर बना रहता है। इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि कैसे आप सावन के खास सोमवार को धार्मिक और सांस्कृतिक रंगों के साथ मनाकर इसे और भी खास बना सकते हैं।

1. शिवजी की पूजा और व्रत
सावन के हर सोमवार को शिवजी का व्रत रखा जाता है। इस दिन प्रातः स्नान करके सफेद या हरे वस्त्र पहनें और घर में शिवलिंग की स्थापना करें। गंगाजल, दूध, दही, शहद और बेलपत्र से अभिषेक करें। “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें और शिव चालीसा पढ़ें।
2. हरियाली से सजाएं घर
सावन हरियाली का प्रतीक है। घर को तुलसी, बेला, मोगरा, और पत्तों की बंदनवार से सजाएं। दीवारों पर हरे रंग की तोरण या फूलों की माला लगाएं। यह न केवल सुंदर लगता है बल्कि सकारात्मक ऊर्जा भी लाता है।
3. हरी चूड़ियों और राखियों की परंपरा
सावन में स्त्रियां हरी चूड़ियां, हरी चुनरी, और मेंहदी लगाकर सजती हैं। यह नारी सौंदर्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। सावन में बहनें अपने भाइयों के लिए हरी राखियां बनाकर उन्हें रक्षा का आशीर्वाद देती हैं।
4. मेंहदी रचाएं और लोकगीत गाएं
सावन के गीतों में प्रेम, भक्ति और ऋतु का सौंदर्य झलकता है। महिलाएं आपस में मिलकर मेंहदी रचाती हैं और कजरी, झूला गीत और शिव-पार्वती के भजन गाती हैं। यह एक पारंपरिक आनंदमय अनुभव होता है।
5. पारंपरिक वेशभूषा अपनाएं
सावन के सोमवार को खासतौर पर महिलाएं हरी साड़ी या सलवार-कुर्ता पहनती हैं। पुरुष भी सफेद या हरे वस्त्र पहनकर पूजा करते हैं। इस दिन विशेष रूप से आभूषण और फूलों का उपयोग कर सोलह श्रृंगार किया जाता है।
6. दीपक जलाएं और शिव भजन सुनें
शाम के समय शिवलिंग के समक्ष घी का दीपक जलाएं। अगरबत्ती, धूप, और शंख की ध्वनि से वातावरण को पवित्र बनाएं। शिव भजन और रुद्राष्टक सुनें या गाएं — इससे मन को शांति और शिव कृपा का अनुभव होता है।
अंत में…
सावन का महीना सिर्फ व्रत और पूजा का नहीं, बल्कि आस्था, संस्कृति और सौंदर्य का प्रतीक है। जब हम श्रद्धा और प्रेम से इसे मनाते हैं, तो यह हमारे जीवन में शांति, समृद्धि और सौभाग्य लाता है।
इस सावन, शिवभक्ति के साथ हरियाली और परंपराओं को अपनाएं — और अपने परिवार, समाज और आत्मा को एक नई ऊर्जा से भर दें।