वैदिक पंचांग के अनुसार, 19 दिसंबर 2025, दिन शुक्रवार को सुबह 04 बजकर 59 मिनट पर पौष अमावस्या की शुरुआत होगी। वहीं, इसका समापन 20 दिसंबर को सुबह 07 बजकर 12 मिनट पर होगा। पंचांग को देखते हुए इस साल पौष अमावस्या 19 दिसंबर 2025 को मनाई जाएगी।

पौष अमावस्या का महत्व
पौष अमावस्या को “मोक्षदायिनी अमावस्या” भी कहा जाता है। यह दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों और तीर्थों में स्नान करने से व्यक्ति अपने पापों से मुक्त हो जाता है।
श्रीमद् भगवद गीता में कहा गया है:
“न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते।”
अर्थात, पवित्रता का कोई दूसरा मार्ग ज्ञान और आत्म-शुद्धि से बढ़कर नहीं है। पौष अमावस्या हमें इसी शुद्धता और आंतरिक शांति की ओर ले जाती है।
पौष अमावस्या की पूजा विधि
पवित्र नदी में स्नान
इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना या घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें और ‘ॐ घृणि सूर्याय नमः’ मंत्र का जाप करें।
तर्पण और श्राद्ध कर्म
यह दिन पितरों की आत्मा की पूजा के लिए समर्पित है। ऐसे में दक्षिण दिशा की ओर मुख करके अपने पितरों का ध्यान करते हुए जल में काले तिल मिलाकर उनका तर्पण करें। हो पाए, तो किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं। ऐसा करने से पितृ दोष समाप्त होता है।


