मोक्षदा एकादशी व्रत आज, पूजा में जरूर पढ़ें पूर्वजों को मोक्ष दिलाने वाली ये कथा

हिंदू धर्म में एकादशी तिथि को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है. मार्गशीर्ष या अगहन महीने की मोक्षदा एकादशी पापनाशक और मोक्षदायिनी होती है, जोकि विष्णु भक्तों के लिए अत्यंत शुभ है. ऐसी मान्यता है कि, मोक्षदा एकादशी का व्रत रखने और पूजन करने से जन्म-जन्मांतर के पापों का क्षय होता है और व्यक्ति को पुण्यफल की प्राप्ति होती है.

मोक्षदा एकदाशी का व्रत हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है, जोकि इस साल आज सोमवार 1 दिसंबर 2025 को है. इस दिन जो भक्त विधि-विधान से पूजा करते हैं और व्रत नियमों का पालन करते हैं, उन पर श्रीहरि की विशेष कृपा बनी रहती है. लेकिन पूजा के दौरान व्रत कथा का पाठ करना या सुनन न भूलें, क्योंकि इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है. आइए जानते हैं मोक्षदा एकादशी की संपूर्ण व्रत.

मोक्षदा एकादशी व्रत के नियम

मोक्षदा एकादशी का व्रत शुरू करने के लिए एकादशी के आरंभ होने पर संकल्प लिया जाता है. उसके बाद श्रीहरि विष्णु के पूर्णावतार भगवान श्रीकृष्ण की विधिवत पूजा की जाती है. पूजा के उपरांत गीता पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है. व्रत के दौरान फलाहार किया जा सकता है.

अगले दिन द्वादशी तिथि पर निर्धारित समय में पारण किया जाता है, तभी व्रत पूर्ण माना जाता है. एकादशी से एक दिन पहले यानी दशमी से ही तामसिक भोजन से बचना चाहिए. मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की ग्यारस को मोक्षदा एकादशी का व्रत रखा जाता है. और इसी दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है. इस अवसर पर भगवान सूर्यदेव की उपासना का विशेष महत्व बताया गया है.
पौराणिक व धार्मिक कथा के अनुसार, चंपक नगर नामक एक राज्य में वैखानस नाम का राजा राज्य करता था, जोकि चारों वेदों का ज्ञाता भी था. इस कारण राजा से राज्य की प्रजा से लेकर ब्राह्मण आदि सभी प्रसन्न रहते थे. लेकिन एक बार राजा को बुरा सपना आया कि, उसके पूर्वज नरक की यातनाएं झेल रहे हैं. नींद खुली तो राजा बहुत दुखी हुआ. राजा ने तुरंत ऋषियों के आश्रम पहुंचा और इस सपने के बारे में बताया.

राजा ने तपस्वियों से कहा कि, आप कृपा मेरे पूर्वज को नरक से मुक्ति दिलाने में सहायता करें. क्योंकि जबसे मैंने यह सपना देखा है मैं बहुत दुखी और बैचेन हूं. मेरे पिता नरक में कष्ट में है. मैं क्या करूं? मेरा जीवन व्यर्थ है यदि में अपने पूर्वजों का उद्धार न कर सकूं. तब तपस्वियों ने राजा से कहा- हे राजन! यहां समीप में ही भूत, भविष्य और वर्तमान के ज्ञाता पर्वत ऋषि का आश्रम है. आप वहां जाएं, वे आपकी समस्या का जरूर हल करेंगे.

राजा पर्वत ऋषि के आश्रम पहुंचे. राजा को देखते ही पर्वत ऋषि ने आंखें बद की और भूत विचारने लगे. इसके बाद पर्वत ऋषि को सारी व्यथा का पता लग गया. उन्होंने राजा से कहा कि, तुम बहुत पुण्य आत्मा हो, इसलिए पूर्वजों को कष्ट में देखकर तुम्हारा मन दुखी है. लेकिन तुम्हारे पिता नरक में अपने कर्मों का फल भोग रहे हैं.

लेकिन फिर भी राजा ने जब ऋषि से इसका हल पूछा तो उन्होंने कहा कि, तुम मोक्षदा एकादशी व्रत का पालन करो. इसका फल पूर्वजों को मिलता है. इससे तुम्हारे पिता के कष्ट कम होंगे. राजा ने ऋषि द्वारा बताए व्रत का विधि-विधान स पालन किया, जिसके परिणामस्वरूप उसके पिता को नरक से मुक्ति मिल गई. राजा ने सपने में पिता को स्वर्ग जाते हुए देखा. सपने में उसके पिता कह रहे थे-पुत्र तेरा कल्याण हो.

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