Ganesh Chaturthi

अंगारकी चतुर्थी 2025: गणेश व्रत का महत्व, पूजा-विधि और शुभ समय

अंगारकी चतुर्थी वह विशेष दिन है जब संकष्टी चतुर्थी मंगलवार को पड़ती है। इस दिन श्रद्धालु श्रीगणेश की विशेष पूजा और व्रत करते हैं -खासकर महाराष्ट्र और पश्चिमी भारत में यह दिन बड़ी श्रद्धा से मनाया जाता है।

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  • अंगारकी चतुर्थी 2025 – तिथि और प्रमुख समय: 
  • तिथि: मंगलवार, 12 अगस्त 2025.

  • तिथि-काल : तिथि 11 अगस्त 2025 रात 11:11 बजे से आरंभ होकर 12 अगस्त को शाम 09:06 बजे तक रहती है।

  • गुड टाइम : 01:18 PM – 02:59 PM.

  • राहुकाल: 04:40 PM — 06:22 PM (इन समयों में पवित्र कर्म न करें)।

  • यमगंडम : 09:55 AM — 11:36 AM.

  • अंगारकी चतुर्थी का आध्यात्मिक महत्व: 

‘अंगारकी’ शब्द संस्कृत से आया है और इसका अर्थ लाल-धधकते कोयले जैसा होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब संकष्टी चतुर्थी मंगलवार से मिलती है, तब गणेश-व्रत का फल विशेष रूप से तीव्र माना गया है। जो भक्त इस दिन विधिवत् उपवास रखते हैं और गणेश जी की भक्ति करते हैं, उन्हें मनोवांछित फल, बुद्धि और बाधा-निवारण का आशीर्वाद मिलता है।

  • अंगारकी चतुर्थी व्रत  पूजा-विधि और आवश्यक बातें: 

यहां साधारण और व्यवहारिक विधि दी जा रही है – जिसे घर पर सरलता से अपनाया जा सकता है:

  1. प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।

  2. गणेश प्रतिमा/चित्र को साफ-सुथरा रखें, पुष्पों से सजाएँ और दीपक प्रज्ज्वलित करें।

  3. गणेश जी को मोदक (उनका प्रिय भोजन) तथा फल-मिठाई अर्पित करें।

  4. व्रत पूरी तरह निर्जला (या स्वास्थ्य अनुरूप फलों/दूध/साबूदाना-भोजन) रखा जा सकता है।  सामान्यत: व्रत सूर्य उदय से चंद्र दर्शन तक रहता है।

  5. रात्रि में चंद्र दर्शन के बाद व्रत खोलें; इस दौरान ‘गणपति अथर्वशीर्ष’ या अन्य गणेश स्तोत्र का पाठ लाभप्रद होता है।

  6. ध्यान दें: इस दिन शराब, तम्बाकू, पान-मसाला इत्यादि वर्जित करें।

  • अंगारकी चतुर्थी व्रत के लाभ: 
  • अनेक ग्रंथों और परंपरा के अनुसार जो लोग श्रद्धा से यह व्रत करते हैं, उन्हें निम्नलिखित लाभ प्राप्त हो सकते हैं – (लाभ परम्परागत मान्यताएँ हैं): 
  1. मंगल दोष और अन्य ग्रह सम्बन्धी बाधाओं से राहत।

  2. पारिवारिक सुख-समृद्धि और मानसिक शांति।

  3. बुद्धि और विवेक में वृद्धि, तथा कार्यों में सफलता।

  4. वित्तीय परेशानियाँ व संबंधी अड़चनें कम होने के संकेत।

  5. पापों के क्षमन तथा जीवन में समग्र वैभव-वृद्धि।

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